RAKHI Saroj

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लेखनी प्रतियोगिता -10-Jan-2024

मोहब्बत 

उसकी एक मुस्कुराहट का असर समझ
बैठे थे जनाब आप मोहब्बत को
पर वो बेहिसाब थी हर राग में चर्चा था 
उसका जाने क्या कहना था उसे जिसकी 
चाहत मेरे दिल में गांठे बन बनकर मुझे हर 
रात चांद के हवाले कर जाया करती थी
मोहब्बत बेहिसाब थी रंगों से सजी रंगोली से 
ज्यादा चर्चित अखबारों की सुर्खियों जैसा 
चर्चा था अब हर वक्त उसका ही मेरे मन पर 
कब्जा था कहते है मोहब्बत उसकी बेहिसाब थी
बस बांध लेना हमें मोहब्बत के धागों से
बस यही खुदा से दुआ हमने हर बार की थी
पर कौन जानें किसी की दुआ थी या मुझे लगी 
बंधुआ थी जब मोहब्बत का रंग चढ़ा हम पर था
पूछ रहा था जग मोहब्बत बेहिसाब थी
आंखों से बहे थे जब सपनों के रंग
वादों के कफ़न में जब लिपटीं थी मेरी मोहब्बत 
पूछ रहे थे वो क्या मोहब्बत बेहिसाब थी?
                 राखी सरोज 



                     

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10 Comments

Milind salve

21-Jan-2024 07:51 PM

Very nice

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Rupesh Kumar

21-Jan-2024 05:24 PM

Nice one

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Sushi saxena

16-Jan-2024 08:38 PM

Nice

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